भंवर में जानबूझकर "सृजिता" डुबोई थी कभी। सुनहरे लम्हों से भरी वो नाव मांगता है।। भंवर में जानबूझकर "सृजिता" डुबोई थी कभी। सुनहरे लम्हों से भरी वो नाव मांगता ह...
याद आ रहा है वो गुजरा जमाना। मुझे यूँ बुला के खुद उनका ना आना। याद आ रहा है वो गुजरा जमाना। मुझे यूँ बुला के खुद उनका ना आना।
रिश्तों की डोर यूं संवर जा रही है रेत सी जिंदगी फिसलती जा रही है। रिश्तों की डोर यूं संवर जा रही है रेत सी जिंदगी फिसलती जा रही है।
छू कर गुजरा जो कुछ तुझको-मुझको छू कर गुजरा जो कुछ तुझको-मुझको
हर बात है सनम अधूरी अधूरी हर बात है सनम अधूरी अधूरी
न कर पाने का सिर्फ़ बहाना चाहिये। न कर पाने का सिर्फ़ बहाना चाहिये।